Tehzeeb Hafi Shayari For Instagram ✂️ Copy This Ideas! ✨

Tehzeeb Hafi Shayari For Instagram ✂️ Copy This Ideas! ✨

If You Are Searching For Tehzeeb Hafi Shayari For Instagram Then You Should Follow This Post Till The End Because Here You Will Found Many Tehzeeb Hafi Shayari For Instagram . You Can Choose The Best Tehzeeb Hafi Shayari For Instagram From Here And Copy And Paste ✂ ✓ It Into Your Instagram post.

Tehzeeb Hafi Shayari For Instagram


😍➤ Best Tehzeeb Hafi Shayari For Instagram :

 ज़ेहन से यादों के लश्कर जा चुके

वो मेरी महफ़िल से उठ कर जा चुके

मेरा दिल भी जैसे पाकिस्तान है

सब हुकूमत करके बाहर जा चुके


मैंने जो कुछ भी सोचा हुआ है,

मैं वो वक़्त आने पे कर जाऊँगा

तुम मुझे ज़हर लगते हो और

मैं किसी दिन तुम्हें पी के मर जाऊँगा


कौन तुम्हारे पास से उठ कर घर जाता है

तुम जिसको छू लेती हो वो मर जाता है


रुक गया है वो या चल रहा है

हमको सब कुछ पता चल रहा है

उसने शादी भी की है किसी से

और गाँव में क्या चल रहा है


अब मज़ीद उससे ये रिश्ता नहीं रक्खा जाता

जिससे इक शख़्स का पर्दा नहीं रक्खा जाता

एक तो बस में नहीं तुझसे मोहब्बत ना करूँ

और फिर हाथ भी हल्का नहीं रक्खा जाता


पढ़ने जाता हूँ तो तस्मे नहीं बाँधे जाते

घर पलटता हूँ तो बस्ता नहीं रक्खा जाता


तारीकियों को आग लगे और दिया जले

ये रात बैन करती रहे और दिया जले

उस की ज़बाँ में इतना असर है कि निस्फ़ शब

वो रौशनी की बात करे और दिया जले


तुमने कैसे उसके जिस्म की खुशबू से इन्कार किया

उस पर पानी फेंक के देखो कच्ची मिट्टी जैसा है


मुझसे मत पूछो के उस शख़्स में क्या अच्छा है

अच्छे अच्छों से मुझे मेरा बुरा अच्छा है

किस तरह मुझ से मुहब्बत में कोई जीत गया

ये ना कह देना के बिस्तर में बड़ा अच्छा है


कोई समंदर, कोई नदी होती कोई दरिया होता

हम जितने प्यासे थे हमारा एक गिलास से क्या होता

ताने देने से और हम पे शक करने से बेहतर था

गले लगा के तुमने हिजरत का दुख बाट लिया होता


तिलिस्म-ए-यार ये पहलू निकाल लेता है

कि पत्थरों से भी खुशबू निकाल लेता है

है बे-लिहाज़ कुछ ऐसा की आँख लगते ही

वो सर के नीचे से बाजू निकाल लेता है


मैं ज़िन्दगी में आज पहली बार घर नहीं गया

मगर तमाम रात दिल से माँ का डर नहीं गया

बस एक दुःख जो मेरे दिल से उम्र भर न जायेगा

उसको किसी के साथ देख कर मैं मर नहीं गया


महीनों बाद दफ्तर आ रहे हैं

हम एक सदमे से बहार आ रहे हैं

समंदर कर चूका तस्लीम हमको

ख़ज़ाने खुद ही ऊपर आ रहे हैं


ये किसने दी है मुझको हार जाने पर तसल्ली

ये किसने हाथ मेरे हाथ पर रखा हुआ है


तुझे ये सड़कें मेरे तवस्सुत से जानती हैं

तुझे हमेशा ये सब इशारे खुले मिलेंगे

हमें बदन और नसीब दोनों सवारने हैं

हम उसके माथे का प्यार लेके गले मिलेंगे


जो मेरे साथ मोहब्बत में हुयी

आदमी एक दफा सोचेगा

रात इस डर में गुज़ारी हमने

कोई देखेगा तो क्या सोचेगा


ज़िन्दगी भर फूल ही भिजवाओगे

या किसी दिन खुद भी मिलने आओगे

खुद को आईने में कम देखा करो

एक दिन सूरजमुखी बन जाओगे


ये किस तरह का ताल्लुख है आपका मेरे साथ

मुझे ही छोड़ कर जाने का मशवरा मेरे साथ


उसके हाथों में जो खंजर है ज़्यादा तेज़ है

और फिर बचपन से ही उसका निशाना तेज़ है

जब कभी उस पार जाने का ख्याल आता मुझे

कोई आहिस्ता से कहता था के दरिया तेज़ है


कैसे उसने ये सबकुछ मुझसे छुपकर बदला

चेहरा बदला, रस्ता बदला, बाद में घर बदला

मैं उसके बारे में ये कहता था लोगों से

मेरा नाम बदल देना वो शख्स अगर बदला


एक इधर मैं हूँ के घर वालों से नाराज़गी है

एक उधर तू है के गैरों का कहाँ मानता है

मैं तुझे अपना समझकर ही तो कुछ कहता हूँ

यार तू भी मेरी बातों का बुरा मानता है


तू भी कब मेरे मुताबिक मुझे दुःख दे पाया

किसने भरना था ये पैमाना अगर खाली था

एक दुःख ये के तू मिलने नहीं आया मुझे

एक दुःख ये है के उस दिन मेरा घर खाली था


पहले उसकी खुशबु मैंने खुद पर तारी की

फिर मैंने उस फूल से मिलने की तैयारी की

इतना दुःख था मुझको तेरे लौट के जाने का

मैंने घर के दरवाज़ों से भी मुँह मारी की


ये दुःख अलग है के उससे मैं दूर हो रहा हूँ

ये गम जुदा है वो खुद मुझे दूर कर रहा है

तेरे बिछड़ने पे मैं लिख रहा हूँ ताज़ा ग़ज़लें

ये तेरा गम है जो मुझको मशहूर कर रहा है


मेरे आंसू नहीं थम रहे के वो मुझसे जुदा हो गया

और तुम कह रहे हो के छोड़ो अब ऐसा भी क्या हो गया

महकदों में मेरी लाइनें पढ़ते फिरते हैं लोग

मैंने जो कुछ भी पी कर कहा फलसफा हो गया


मल्लाहों का ध्यान बटा कर दरिया चोरी कर लेना है

क़तरा क़तरा करके मैंने सारा चोरी कर लेना है

तुम उसको मजबूर किये रखना बातें करते रहने पर

इतनी देर में मैंने उसका लहजा चोरी कर लेना है


सबकी कहानी एक तरफ है मेरा किस्सा एक तरफ

एक तरफ सैराब हैं सारे और मैं प्यासा एक तरफ

मैंने अब तक जितने भी लोगों में खुद को बांटा है

बचपन से रखता आया हूँ तेरा हिस्सा एक तरफ


मुझसे कल वक़्त पूछा किसी ने

कह दिया के बुरा चल रहा है

उसने शादी भी की है किसी से

और गाँव में क्या चल रहा है


मैं चाहता हूँ कोई मुझसे बात करता रहे

मैं चाहता हूँ की अंदर की ख़ामोशी निकले

मैं चाहता हूँ मुझे तकचो में रखा जाए

मैं चाहता हूँ जलूं और रौशनी निकले


तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

इतनी आवाज़ें तुझे दी की गला बैठ गया

यूँ नहीं है के फकत मैं ही उसे चाहता हूँ

जो भी उस पेड़ की छाओं में गया बैठा गया


सुना है अब वो आँखें और किसी को रो रही है

मेरे चश्मों से कोई और पानी भर रहा है

बहुत मजबूर होकर मैं तेरी आँखों से निकला

ख़ुशी से कौन अपने मुल्क़ से बाहर रहा है



😍➤ Final Word 

Let us know in the comments if you already knew about them or if any was a surprise for you 👍 . 

Related Posts

Post a Comment